आदर्श गाँव के सूत्र
वैसे आदर्श गाँव का चित्र खींचना हो तो वहां के वातावरण और वहां बसनेवाले लोगों के आचरण आर्थिक, सामाजिक, धार्मिक सभी दृष्टियों से उन्नत होने चाहिए. फिर भी उसका स्वच्छ, संयत, शांत और स्वस्थ होना आदर्श का पहला कदम है.
स्वछता और सफाई
मुख्य बात यह है कि गाँव में स्वछता या सफाई होनी चाहिए. अगर गाँव गंदे रहे तो यही मानना चाहिए कि गाँव वाले नरक में रहते हैं. हम गाँव-गाँव जाते हैं, तो कई गाँव में नाक बंद करके ही प्रवेश करना पड़ता है, क्योंकि लोग गाँव के बाहर खुले मैदान में ही पाखाना करते हैं. सारी बदबू हवा में फैलती है और बीमारी बढ़ती है. मनुष्य के मैले पर मक्खियाँ बैठती हैं. फिर वे ही मक्खियाँ खाने की चीजों पर बैठती हैं और वही हम खाते हैं. उससे बीमारी फैलती है. इसी का नाम नरक है. यह नरक हमारा ही पैदा किया हुआ है. ऐसे नरक में जो लोग जीते हैं, उनको मरने के बाद भगवान् स्वर्ग में कैसे भेजेगा ? कई लोग रोज स्नान करते हैं, भस्म लगते हैं, छुआछूत मानते हैं, दो-दो, चार-चार बार साबुन से हाथ-पाँव धोते हैं. लेकिन जिस पर मक्खियाँ बैठती हैं, वह खाना जरूर खा लेते हैं. इसलिए हर व्यक्ति के घर के पीछे बगीचा हो. शौच के लिए लोग वहीँ जाएँ और बाद में मैले पर मिट्टी दाल दें. गन्दगी न फैलेगी और खाद भी तैयार होगी, जिसका उपयोग बगीचे में होगा. चीन, जापान में मनुष्य के मैले की खाद का बहुत अच्छा उपयोग होता है. उससे सालभर में प्रतिव्यक्ति छह रुपये फसल बदती है. इस तरह गाँव में खूब स्वछता होनी चाहिए.
विनोबा
बहुत सुन्दर अभिब्यक्ति| धन्यवाद|
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