पंचायत हमारा बड़ा पुराना और सुन्दर शब्द है, उसके साथ प्राचीनता की मिठास जुडी हुई है। उसका शाब्दिक अर्थ है गाँव के लोगों द्वारा चुने हुए पांच आदमियों की सभा। यह उस पद्धति का सूचक है, जिसके द्वारा भारत के बेशुमार ग्राम-लोक राज्यों का शासन चलता था। लेकिन ब्रिटिश सरकार ने महसूल वसूल करने के अपने कठोर तरीके से इन प्राचीन लोक राज्यों का लगभग नाश ही कर डाला है।
आजादी का अर्थ हिन्दुस्तान के आम लोगों की आजादी होना चाहिए, उन पर आज हुकूमत करने वालों की आजादी नहीं। हाकिम आज जिन्हें अपने पाँव तले रौंद रहा है, आजाद हिन्दुस्तान में उन्हीं लोगों की मेहरबानी पर हाकिमों को रहना होगा। उनको लोगों का सेवक बनना होगा और उनकी मर्जी के मुताबिक़ काम करना होगा।
आजादी नीचे से शुरू होनी चाहिए। हर एक गाँव में जम्हूरी सल्तनत या पंचायत का राज होगा। उसके पास पूरी सत्ता होगी। इसका मतलब यह है दस हर एक गाँव को अपने पैर पर खड़ा होना होगा - अपनी जरूरतें खुद पूरी कर लेनी होंगी, ताकि वह अपना सारा कारोबार खुद चला सकें। यहाँ तक कि वह सारी दुनिया के खिलाफ अपनी हिफाजत कर सके। उसे तालीम देकर इस हद तक तैयार करना होगा कि वह बाहरी हमले के मुकाबले में अपनी रक्षा करते हुए मर-मिटने के लायक बन जाये। इस तरह आखिर हमारी बुनियाद व्यक्ति पर होगी।
जिस समाज का हर एक आदमी यह माना जाता है कि बराबरी की मेहनत करके दूसरों को जो चीज नहीं मिलती है, वह खुद भी किसी को नहीं लेनी चाहिए, वह समाज जरूर ही बहुत ऊँचे दर्जे की सभ्यता वाला होना चाहिए। ऐसे समाज की रचना स्वभावतः सत्य और अहिंसा पर ही हो सकती है। मेरी राय है कि जब तक इश्वर पर जीता जागता विश्वास न हो, सत्य और अहिंसा पर चलना नामुमकिन है। इश्वर या खुदा वह ताकत है, जिसमें दुनिया की तमाम ताकतें समा जाती हैं।
ऐसा समाज अनगिनत गावों का बना होगा। उसका फैलाव एक के ऊपर एक के ढंग पर नहीं, बल्कि लहरों की तरह एक के बाद एक की शक्ल में होगा। जिन्दगी मीनार की शक्ल में नहीं होगी, जहाँ ऊपर की तंग चोटी को नीचे के चौड़े पाए पर खड़ा होना पड़ता है। वहां तो समुद्र की लहरों की तरह जिन्दगी एक के बाद एक घेरे की शक्ल में होगी और व्यक्ति उसका मध्य बिंदु होगा। यह व्यक्ति हमेशा अपने गाँव की खातिर मिटने को तैयार रहेगा। गाँव अपने इर्द-गिर्द के गावों के लिए मिटने को तैयार होगा। इस तरह आखिर सारा समाज ऐसे लोगों का बन जाएगा, जो उद्धत बनकर कभी किसी पर हमला नहीं करते।
अगरचे इस तस्वीर को पूरी तरह बनाना या पाना मुमकिन नहीं है, तो भी इस सही तस्वीर को पाना या इस तक पहुंचना हर हिन्दुस्तानी की जिन्दगी का मकसद होना चाहिए। अगर हिन्दुस्तान के हर एक गाँव में कभी पंचायती राज कायम हुआ, तो मैं अपनी इस तस्वीर की सच्चाई साबित कर सकूंगा। इस तस्वीर में हर एक धर्मं की अपनी पूरी और बराबरी की जगह होगी।
इस तस्वीर में उन मशीनों के लिए कोई जगह न होगी, जो इन्साओं की म्हणत की जगह लेकर चंद लोगों के हाथों में सारी ताकत इकट्ठा कर देती है। उसमें ऐसी मशीनों की गुंजाइश होगी जो हर आदमी को उसके काम में मदद पहुंचाए।
जब पंचायत राज बनेगा, तब लोकमत सब कुछ करवा लेगा। जमींदारी, पूंजी अथवा राज सत्ता की मौजूदा ताकत तब तक ही कायम रह सकती है, जब तक आम लोगों में अपनी ताकत की समझ पैदा नहीं होती। लोग रूठें तो राजा, पूंजीपती या जमींदार क्या कर सकता है ? पंचायत राज में पञ्च का ही चलने वाला है।
हरिजन सेवक १-६-४७ महात्मा गांधी
bahut achaa blog banaya hai.
जवाब देंहटाएंbadhaai
narendra dube